नबी सअस का आख़िरी ख़ुतबा

Author: Admin Labels:: , , ,


अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का आख़िरी ख़ुतबा.
आपने फ़रमाया-
प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूं, ध्यान से सुनो.
ऐ इंसानों! तुम्हारा रब एक है. अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहना.
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़्याल रखना, न तुम लोगों पर ज़ुल्म करो, न क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जाएगा.
कोई अमानत रखे, तो उसमें ख़यानत न करना.
ब्याज़ के क़रीब न भटकना.

किसी अरबी को किसी अज़मी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अज़मी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है, तो सिर्फ़ तक़वा (धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है. बड़ाई का आधार अगर कोई है, तो ईमान और चरित्र है.

तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ.
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पांव के नीचे हैं.

इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून ख़त्म कर दिए गए. (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून (रबीआ इब्न हारिस का ख़ून)  ख़त्म करता हूं (यानी उनके कातिलों को क्षमा करता हूं).
अज्ञानकाल के सभी ब्याज़ ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज़ ख़त्म करता हूं.

औरतों के मामले में अल्लाह से डरो. तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर हक़ है.
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूं कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ.

लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत नहीं. अत: अपने रब की इबादत करना, हर रोज़ पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना. रमज़ान के रोज़े रखना, ख़ुशी-ख़ुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने परवरदिगार के घर का हज करना और अपने हाकिमों के क़ानून को मानना. ऐसा करोगे, तो अपने परवरदिगार की जन्नत में दाख़िल हो सकोगे.
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुंचा दिया.
लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-
हां, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !
तब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन बार कहा-
ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
उसके बाद क़ुरआन की यह आख़िरी आयत नाज़िल हुई-
आज हमने तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मुकम्मल कर दिया और तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए दीन के तौर पर इस्लाम को पसंद किया है. क़ुरआन: 5-3).

0 comments |

Post a Comment

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

List

My Blog List

  • पैग़ाम-ए-मादर-ए-वतन का लोकार्पण - मेरठ में 14 मई 2008 को मासिक पैग़ाम-ए-मादर-ए-वतन का लोकार्पण करते राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिज्ञ ग...
  • شوگر کا گھریلو علاج - * فردوس خان* شوگر ایک ایسی بیماری ہے جس کی وجہ سے انسان کی زندگی بہت بری طرح متاثر ہوتی ہے۔ وہ مٹھائیاں، پھل، آلو، کولکاشیا اور اپنی پسند کی بہت سی د...
  • भाजपा का विकल्प - *फ़िरदौस ख़ान* दिल्ली में नगर निगम चुनाव से पहले हमने बहुत से लोगों ख़ासकर मुस्लिम कांग्रेसियों से बात की थी. कांग्रेसी इसलिए कि कभी ये सब कांग्रेस के कट्टर ...
  • 27 सूरह अन नम्ल - सूरह अन नम्ल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 93 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. ता सीन. ये क़ुरआन और रौशन किताब की आयतें...
  • Rahul Gandhi in New York - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Times Square: Rahul Gandhi on September 20 addressed Non-Resident Indians (N...
  • ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਕਾ ਸ਼ਹਜ਼ਾਦਾ - *ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਕਾ ਸ਼ਹਜ਼ਾਦਾ *

Popular Posts

Followers

Translate

Powered by Blogger.

Search This Blog

इस बलॊग में इस्तेमाल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
banner 1 banner 2