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पढ़ें, अमल करें और सवाब हासिल करें

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क़यमात के रोज़ इंसान एक-एक नेकी के लिए तरसेगा... उस वक़्त हर शख़्स को सिर्फ़ अपनी ही फ़िक्र होगी... कोई किसी को मांगने पर भी नेकी न देगा... इसलिए बेहतर यही है कि इंसान अपने आमाल से नेकियां हासिल करे, जो उसकी मग़फ़िरत का ज़रिया बन सकें...
पेश हैं कुछ तस्बीह, जिन्हें पढ़कर आप सवाब हासिल कर सकते हैं.

1. सवाल : क्या आज आप ने जन्नत में एक महल बनाया?
जवाब: दस बार सूरह इख़लास पढ़कर [अहमद]

2. सवाल : क्या आज आपने जन्नत में खजूर के 100 दरख़्त लगाए ?
जवाब:  100 बार सुब्हानल्लाहिल-अज़ीम वबिहम्दिही पढ़कर. [तिर्मिजी]

3. सवाल : क्या आज आपने जन्नत में 400 दरख़्त लगाए ?
जवाब: 100 बार सुब्हानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर, पढ़कर. [इब़्न माजह]

4. सवाल : क्या आज आपने एक क़ुरआन मजीद पढ़ने का सवाब कमाया?
जवाब: तीन बार सूरह इख़लास पढ़कर. [मुस्लिम]

5. सवाल: क्या आज आपने करोड़ों नेकियां कमाईं?
जवाब: मोमिनों के लिए दुआ-ए-मग़फ़ित करके. [तबरानी]

6. सवाल: क्या आज आपने जन्नत मे एक घर बनाया?
जवाब: नमाज़ के लिए सफ़ की ख़ाली जगह को भरकर. [इब्न माजह]

7. सवाल: क्या आज आपने एक हज का सवाब कमाया?
जवाब: फ़र्ज़ नमाज़ के लिए घर से अच्छी तरह वज़ू करके जाकर. [अबु दाऊद]

8. सवाल: क्या आज आपने ज़मीन और आसमान की ख़ाली जगह भरकर नेकियां कमाईं?
जवाब: 100 बार ला इलाहा इल्लल्लाह पढ़कर. [अहमद]

9. सवाल: क्या आज आपने अल्लाह की राह में 100 घोड़े देने का सवाब कमाया?
जवाब: 100 बार अल्हम्दुलिल्लाह पढ़कर. [अहमद]

10. सवाल: क्या आज आपने मक्का-ए-मुअज़्ज़मा में 100 ऊंट क़ुर्बान करने का सवाब कमाया?
जवाब: 100 बार अल्लाहु अकबर पढ़कर. [अहमद]

11. सवाल: क्या आज आपने 100 ग़ुलाम आज़ाद करने का सवाब कमाया?
जवाब: 100 बार सुब्हानअल्लाह पढ़कर. [अहमद]

12. सवाल: क्या आज आपने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शफ़ाअत हासिल करने वाला अमल किया?
जवाब: सुबह व शाम दस-दस बार दुरूद शरीफ़ पढ़कर. [तबरानी]

13. सवाल: क्या आज आपने वह अमल किया, जिस जैसा अमल क़यामत के दिन लेकर आने वाला कोई न होगा सिवाय उसके जो इस जैसा अमल करे?
जवाब: 100 बार सुब्हानल्लाही वबिहम्दिही पढ़कर. [मुस्लिम]

14. सवाल: क्या आज आपने पूरी रात इबादत करने का सवाब कमाया?
जवाब: नमाज़-ए-इशा और नमाज़-ए-फ़ज्र बा जमाअत पढ़कर. [मुस्लिम]

15. सवाल : क्या आज आपने वज़ू के बाद वह दुआ पढ़ी, जिसके सवाब को क़यामत के दिन तक कोई चीज़ नहीं मिटा सकती?
जवाब: सुब्हाना कल्लाहुम्मा वबिहम्दिका अश-हदू अन ला इलाहा इल्ला अन्ता अस्तग़फ़िरूका वातुबू इलैक. [हाकिम]

प्यारे नबी हज़रत मुहम्‍मद (सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम) ने फ़रमाया है- अल्लाह उसके चेहरे को रौशन करे, जो हदीस सुनकर आगे पहुंचाता है.




आपसे ग़ुज़ारिश है कि राहे-हक़ की हमारी कोई भी तहरीर आपको अच्छी लगे, तो उसे दूसरों तक ज़रूर पहुंचाएं... हो सकता है कि हमारी और आपकी कोशिश से किसी का भला हो जाए. 
फ़िरदौस ख़ान


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जन्नतुल फ़िरदौस का सवाल करो...

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जब तुम अल्लाह से सवाल करो, तो जन्नतुल फ़िरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का आला और अफ़ज़ल हिस्सा है. (बुख़ारी फ़िल तारीख़ :4/146)
اللھم انی اسئلک الجنة الفردوس
अल्लाहुम्मा इन्नी असआलुकल जन्नतुल फ़िरदौस...
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जन्नतुल-फ़िरदौस का सवाल करता हूं.

जन्नत का सवाल और जहन्नम से पनाह
जो शख़्स अल्लाह पाक से तीन बार जन्नत का सवाल करे, तो जन्नत कहती है- ऐ अल्लाह ! इसको जन्नत में दाख़िल कर दे और जो  शख़्स तीन बार जहन्नम से पनाह मांगे, तो जहुन्नम कहती है- ऐ अल्लाह ! इसको जहन्नम से बचा ले. [सही तिर्मिज़ी]

اَللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنَ النَّارِ
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जहन्नुम से पनाह मांगता हूं.

ऐ अल्लाह! हम तुझ से जन्नत का सवाल करते हैं और जहन्नम से तेरी पनाह मांगते हैं. आमीन




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माहे-ज़िलहज की पहली तारीख का अमल

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हदीस शरीफ़ में आया है कि जो शख़्स माहे-ज़िलहज की पहली तारीख़ की रात को चार रकअत नमाज़ पढ़े और हर रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह इख़लास 25 मर्तबा पढ़े, अल्लाह तअला उसके आमालनामे में 25 बरस की इबादत का सवाब दर्ज फ़रमाएगा और मरने से पहले बहिश्त में अपना मुक़ाम देख लेगा.

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एक दुआ जिसका सवाब अल्लाह ने छुपा रखा है

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सवाब

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हम कोई आलिम नहीं हैं, आमिल नहीं हैं... बस हमारी यही कोशिश है कि हमने अपने बड़ों से जो अच्छी और दीनी बातें सीखी हैं, उन्हें दूसरों तक पहुंचा सकें... आपसे ग़ुज़ारिश है कि राहे-हक़ की तहरीरों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाकर इस नेक मुहिम में हिस्सेदार बनें. ये काम भी सदक़ा-ए-जारिया है- फ़िरदौस ख़ान
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* प्यारे नबी हज़रत मुहम्‍मद (सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम) ने फ़रमाया है- अल्लाह उसके चेहरे को रौशन करे, जो हदीस सुनकर आगे पहुंचाता है.

* हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि प्यारे नबी हज़रत मुहम्‍मद (सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम) ने फ़रमाया है- जब आदमी मर जाता है, तो उसका अमल रुक जाता है, मगर तीन चीज़ों का सवाब जारी रहता है-
1. सदक़ा-ए-जारिया का
2. उस इल्म का, जिससे लोग फ़ायदा उठाएं.
3. नेक औलाद का, जो उसके लिए दुआ करे
(सहीह मुस्लिम, जिल्द 3, किताबुल-वसिया, हदीस 4005)

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या हुसैन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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