हज़रत अली अलैहिस्सलाम

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सुनहरे अक़वाल
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं-

* अपने ख़्यालों की हिफ़ाज़त करो, क्योंकि ये तुम्हारे अल्फ़ाज़ बन जाते हैं
अपने अल्फ़ाज़ की हिफ़ाज़त करो, क्योंकि ये तुम्हारे आमाल बन जाते हैं
अपने आमाल की हिफ़ाज़त करो, क्योंकि ये तुम्हारा किरदार बन जाते हैं
अपने किरदार की हिफ़ाज़त करो, क्योंकि तुम्हारा किरदार तुम्हारी पहचान बन जाता है
* अपनी सोच को पानी के कतरों से भी ज़्यादा साफ़ रखो, क्योंकि जिस तरह क़तरों से दरिया बनता है उसी तरह सोच से ईमान बनता है.

* जो शख़्स दुनिया में कम हिस्सा लेता है, वो अपने लिए राहत का सामान बढ़ा लेता है. और जो दुनिया को ज़्यादा समेटता है, वो अपने लिए तबाहकुन चीज़ों का इज़ाफ़ा कर लेता है...
* जिसकी अमीरी उसके लिबास में हो, वो हमेशा फ़क़ीर रहेगा और जिसकी अमीरी उसके दिल में हो वो हमेशा सुखी रहेगा.
* ख़ालिक से मांगना शुजाअत है. अगर दे तो रहमत और न दे तो हिकमत. मखलूक से मांगना ज़िल्लत है. अगर दे तो एहसान और ना दे तो शर्मिंदगी.

* लम्बी दोस्ती के लिए दो चीज़ों पर अमल करो
- अपने दोस्त से ग़ुस्से में बात मत करो
- अपने दोस्त की ग़ुस्से में कही हुई बात दिल पर मत लो

* किसी मुकम्मल शख़्स की तलाश में मुहब्बत न करो, बल्कि किसी अधूरे को मुकम्मल करने के लिए मुहब्बत करो...
* अगर किसी का जर्फ़ आज़माना हो, तो उसको ज़्यादा इज़्ज़त दो. वह आला ज़र्फ़ हुआ तो आपको और ज़्यादा इज़्ज़त देगा और कम ज़र्फ़ हुआ तो ख़ुद को आला समझेगा.
* अगर किसी के बारे मे जानना चाहते हो तो पता करो के वह शख्स किसके साथ उठता बैठता है

* हमेशा उस इंसान के क़रीब रहो जो तुम्हे ख़ुश रखे, लेकिन उस इंसान के और भी क़रीब रहो जो तुम्हारे बग़ैर ख़ुश ना रह पाए
* ख़ूबसूरत इंसान से मुहब्बत नहीं होती, बल्कि जिस इंसान से मुहब्बत होती है वो ख़ूबसूरत लगने लगता है.
* इल्म की वजह से दोस्तों में इज़ाफ़ा होता है, दौलत की वजह से दुशमनों में इज़ाफ़ा होता है.
* दौलत, हुक़ूमत और मुसीबत में आदमी के अक़्ल का इम्तेहान होता है कि आदमी सब्र करता है या ग़लत क़दम उठाता है.
* दौलत को क़दमों की ख़ाक बनाकर रखो, क्यूकि जब ख़ाक सर पर लगती है तो वो क़ब्र कहलाती है.
* सब्र एक ऐसी सवारी है, जो सवार को अभी गिरने नहीं देती.
* ऐसा बहुत कम होता है कि जल्दबाज़ नुक़सान न उठाए, और ऐसा हो ही नहीं सकता कि सब्र करने वाला नाक़ाम हो.
* सब्र से जीत तय हो जाती है.

* झूठ बोलकर जीतने से बेहतर है सच बोलकर हार जाओ.
* जब तुम्हरी मुख़ालफ़त हद से बढ़ने लगे, तो समझ लो कि अल्लाह तुम्हें कोई मुक़ाम देने वाला है.
* जहा तक हो सके लालच से बचो, लालच में ज़िल्लत ही ज़िल्लत है.
* मुश्किलतरीन काम बेहतरीन लोगों के हिस्से में आते हैं, क्योंकि वो उसे हल करने की सलाहियत रखते हैं.
* कम खाने में सेहत है, कम बोलने में समझदारी है और कम सोना इबादत है.
* अक़्लमंद अपने आप को नीचा रखकर बुलंदी हासिल करता है और नादान अपने आप को बड़ा समझकर ज़िल्लत उठाता है.
* किसी की आंख तुम्हारी वजह से नम न हो, क्योंकि तुम्हे उसके हर इक आंसू का क़र्ज़ चुकाना होगा .
* तुम्हारा एक रब है फिर भी तुम उसे याद नहीं करते, लेकिन उस के कितने बंदे हैं फिर भी वह तुम्हे नहीं भूलता.
* सूरत बग़ैर सीरत के एसा फूल है, जिसमे कांटे ज़्यादा हों और ख़ुशबू बिलकुल न हो.
* कभी भी किसी के ज़वाल को देखकर ख़ुश मत हो, क्योंकि तुम्हे पता नहीं है मुस्तक़बिल में तुम्हारे साथ क्या होने वाला है.
* आज का इंसान सिर्फ़ दोलत को ख़ुशनसीबी समझता है और ये ही उसकी बदनसीबी है.

* बात तमीज़ से और एतराज़ दलील से करो, क्योंकि जबान तो हैवानो में भी होती है मगर वह इल्म और सलीक़े से महरूम होते हैं.
लफ्ज़ आपके गुलाम होतें हैं. मगर सिर्फ़ बोलने से पहले तक, बोलने के बाद इंसान अपने अल्फ़ाज़ का ग़ुलाम बन जाता है. अपनी ज़बान की हिफ़ाज़त इस तरह करो, जिस तरह तुम अपने माल की करते हो. एक लफ़्ज़ ज़लील कर सकता है और आपके सुख को ख़त्म कर सकता है.


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या हुसैन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

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अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
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This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

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फ़ना इतनी हो जाऊं
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