दरूद के मसायल

Author: Admin Labels:: , ,


दरूद का मतलब
अल्लाह और उसके फ़रिश्ते नबी पर रहमत भेजते हैं. ऐ ईमानवालो ! तुम भी उन पर दरूद व सलाम भेजो.(सूरह अहज़ाब 33/56)

अल्लाह के नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम पर दरूद भेजने का मतलब रहमत नाज़िल करना है और फ़रिश्ते या मुसल्मानों का आप पर दरूद भेजने का मतलब रहमत की दुआ करना हैं.

* हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. से रिवायत है कि नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम ने फ़रमाया- तुममे से कोई शख़्स जब तक अपनी नमाज़ की जगह पर जहां उसने नमाज़ पढ़ी है, बैठा रहे और उसका वुज़ु न टूटे तब तक फ़रिश्ते उस पर दरूद भेजते रहते हैं और यूं कहते हैं – ऐ अल्लाह ! इसे बख़्श दे, इस पर रहम फ़रमा. (अबू दाऊद)

हज़रत आयशा रज़ि. से रिवायत है कि नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम ने फ़रमाया – सफ़ के दाईं तरफ़ के लोगों पर अल्लाह रहमत नाज़िल करता है और फ़रिश्ते उसके लिए रहमत की दुआ करते हैं. (अबू दाऊद)

तमाम नबियों पर दरूद भेजने का हुक्म 
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि. कहते हैं के नबी के अलावा किसी पर दरूद न भेजो. अलबत्ता मुसलमान मर्दों और औरतों के लिए इस्तिग़फ़ार करो. (इसे काज़ी इस्माईल ने फ़ज़लुस्सलात अलन्नबिय्यि में रिवायत किया है.)
दरूद की फ़ज़ीलत
* हज़रत अनस रज़ि से रिवायत हैं के नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम ने फ़रमाया – जिसने मुझ पर एक बार दरूद भेजा अल्लाह उस पर 10 बार रहमतें नाज़िल करेगा, उसके 10 गुनाह माफ़ करेगा और 10 दर्जे बुलन्द करेगा. (निसाई)

* हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ि. से रिवायत है कि नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम ने फ़रमाया – जो मुझ पर कसरत से दरूद भेजता है, क़यामत के दिन वो मेरे सबसे क़रीब होगा. (तिर्मिज़ी)

* हज़रत अबी बिन काअब रज़ि. से रिवायत है कि मैंने नबी सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम से कहा – ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं आप पर कसरत से दरूद भेजता हूं, मै अपनी दुआ में से कितना वक़्त दरूद के लिए छोड़ूं? आपने फ़रमाय – जितना तू चाहे. मैंने कहा- एक चौथाई सही है. आपने फ़रमाया – जितना तू चाहे, लेकिन अगर इससे ज़्यादा करे, तो तेरे लिए अच्छा है. मैंने कहा कि आधा वक़्त अगर छोड़ूं. आपने फ़रमाया – जितना तू चाहे, लेकिन अगर इससे ज़्यादा करे, तो तेरे लिए अच्छा है. मैंने कहा कि तो तिहाई वक़्त अगर छोडू़ं. आपने फ़रमाया – जितना तू चाहे, लेकिन अगर इससे ज़्यादा करे, तो तेरे लिए अच्छा है. मैंने कहा- मैं अपना सारा दुआ का वक़्त दरूद के लिए रख छोड़ता हूं. इस पर आप सल्‍लललाहु अलैहि वसल्‍लम ने फ़रमाया– ये तेरे सारे दुखों और मुसीबतों के लिए काफ़ी होगा और तेरे गुनाह की माफ़ी का सबब होगा. (तिर्मिज़ी)

अल्लाह हम सबको कसरत से दरूद-ओ-सलाम पढ़ने की तौफ़ीक़ अता करे, आमीन
Courtesy islam-the-truth

0 comments |

Post a Comment

या हुसैन

या हुसैन

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

List

My Blog List

  • Good person - It is most important to be a good person, for yourself and for others. A good person makes the world worth living in. The world exists because of good pe...
  • अच्छा इंसान - अच्छा इंसान बनना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी. एक अच्छा इंसान ही दुनिया को रहने लायक़ बनाता है. अच्छे इंसानों की वजह से ही दुनिय...
  • संग्रहणीय पुस्तक है नवगीत कोश - *फ़िरदौस ख़ान*सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार डॉ. रामनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ द्वारा लिखित ‘नवगीत कोश’ पढ़ने का मौक़ा मिला। इसे पढ़कर लगा कि अगर इसे पढ़ा नहीं हो...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • 27 सूरह अन नम्ल - सूरह अन नम्ल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 93 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. ता सीन. ये क़ुरआन और रौशन किताब की आयतें...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

Popular Posts

Followers

Translate

Powered by Blogger.

Search This Blog

इस बलॊग में इस्तेमाल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
banner 1 banner 2