एक मुबारक तारीख़

Author: फ़िरदौस ख़ान Labels::


एक मुबारक तारीख़... एक रूहानी तारीख़, जिसे हम कभी नहीं भूल सकते... तआरुफ़ 
4 अप्रैल 2022, हिजरी 2 रमज़ान 1443

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم 
 إلهي كفى بي عِزًّا أن أكون لك عَبدًا، وكفى بي فخرًا أن تكون لي رَبًّا، أنت كما أُحب فاجعلني كما تُحب. 
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इलाही कफ़ा बी इज़्ज़न, अन अकुना लका अबदन
वा कफ़ा बी फ़ख़रन, अन तकुना लि रब्बन 
अंता कमा उहिब्ब, फ़जअलनी कमा तोहिब
आमीन या रब्बुल आलेमीन 
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है.
ऐ मेरे रब ! मेरी इज़्ज़त के लिए यही काफ़ी है कि मैं तेरा बन्दा हूं. और मेरे फ़ख़्र करने के लिए ये काफ़ी है कि तू मेरा परवरदिगार है. तू वैसा ही है, जैसा मैं चाहता हूं. बस तू मुझे ऐसा बना दे, जैसा तू चाहता है.
आमीन या रब्बुल आलेमीन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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