शबे-बारात...
Author: Admin Labels:: इबादत, इस्लाम, फ़िरदौस ख़ान की क़लम सेशबे-बारात... यानी इबादत की रात... यह इबादत की रात है और अगले दिन रोज़ा रखकर अल्लाह की ख़ुशनूदी हासिल करने का दिन...
कहते हैं कि आज रात को उन लोगों का नाम ज़िन्दा लोगों की फ़ेहरिस्त से काट दिया जाता है, जो अगली शबे-बारात से पहले मरने वाले हैं... हो सकता है कि इनमें एक नाम हमारा भी हो और हम अगली शबे-बारात न देख पाएं...
इसलिए हम आप सबसे उन सब चीज़ों के लिए मुआफ़ी चाहते हैं, जिनसे आपका दिल दुखा हो... हम इस दुनिया से किसी भी तरह का कोई बोझ लेकर नहीं जाना चाहते... बस एक ऐसी लड़की के तौर पर यादें छोड़ कर जाना चाहते हैं, जिसने जानबूझ कर कभी किसी का दिल न दुखाया हो, किसी के साथ हक़तल्फ़ी न की हो... किसी का बुरा न किया हो... बस इतना ही... ज़िन्दगी से, इस दुनिया से हमें और कुछ नहीं चाहिए... हमारे लिए यही बहुत है...
आज दूसरों से माफ़ी मांगने के साथ ही क्यों न हम भी उन सभी लोगों को दिल से मुआफ़ कर दें, जिन्होंने हमारा दिल दुखाया है, हमारे साथ बुरा किया है, हमारी हक़तल्फ़ी की है ... भले ही वो हमसे माफ़ी न मांगें...
माफ़ी मांगने से इंसान छोटा नहीं होता, लेकिन मुआफ़ कर देने से ज़रूर बड़ा हो जाता है...
आप सबको इबादत की रात मुबारक हो..
दुआओं में याद रखना...
-फ़िरदौस ख़ान