ज़कात से मदद
Author: Admin Labels:: ख़िदमत-ए-ख़ल्क, ज़कात, फ़िरदौस ख़ान की क़लम से
रमज़ान में सब अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक़ ज़कात निकालते हैं... फ़ितरा निकालते हैं... इसके अलावा भी राहे-हक़ में पैसे ख़र्च करते हैं... हमने देखा है कि अकसर लोग इस बात को तरजीह देते हैं कि मस्जिद में ख़ूबसूरत टाइल्स लगवा दी जाएं, एसी लगवा दिया जाए...
बेशक मस्जिद में ख़ूबसूरत टाइल्स लगवाएं, एसी लगवाएं... हमारा अपना मानना है कि क्यों न हम इन पैसों से उन लोगों की भी मदद करें, जो बेसहारा हैं, मजबूर हैं, बेबस हैं, जिनके यहां कोई कमाने वाला नहीं है, जो मेहनत-मशक़्क़त करके भी मुश्किल से ज़िन्दगी गुज़ार रही हैं... अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों ख़ासकर ऐसी मज़लूम औरतों का पता लगाकर इन पैसों से उनकी इतनी मदद कर दी जाए कि वे दो वक़्त भरपेट खाना खा सकें, अपना इलाज करा सकें, ज़रूरत की कोई चीज़ खरीद सकें...
इसके अलावा जिन इलाक़ों में नल यानी हैंडपंप नहीं हैं, वहां नल लगवा दिए जाएं, ताकि लोगों को पानी मिल सके...
0
comments |
बेशक मस्जिद में ख़ूबसूरत टाइल्स लगवाएं, एसी लगवाएं... हमारा अपना मानना है कि क्यों न हम इन पैसों से उन लोगों की भी मदद करें, जो बेसहारा हैं, मजबूर हैं, बेबस हैं, जिनके यहां कोई कमाने वाला नहीं है, जो मेहनत-मशक़्क़त करके भी मुश्किल से ज़िन्दगी गुज़ार रही हैं... अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों ख़ासकर ऐसी मज़लूम औरतों का पता लगाकर इन पैसों से उनकी इतनी मदद कर दी जाए कि वे दो वक़्त भरपेट खाना खा सकें, अपना इलाज करा सकें, ज़रूरत की कोई चीज़ खरीद सकें...
इसके अलावा जिन इलाक़ों में नल यानी हैंडपंप नहीं हैं, वहां नल लगवा दिए जाएं, ताकि लोगों को पानी मिल सके...