इशराक़ की नमाज़
Author: Admin Labels:: Salat, इबादत, इशराक़ की नमाज़, इस्लाम, नमाज़इशराक़ की नमाज़ हज और उमरा का सवाब
हज़रत अनस बिन मालिक रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया-" जो शख़्स नमाज़-ए-फ़ज्र बा-जमाअत अदा करे, फिर (अपनी जगह पर) बैठकर सूरज तुलुअ होने तक अल्लाह का ज़िक्र करता रहे. फिर 2 रकअत (इशराक़ की) नमाज़ पढ़े, तो उसे कामिल हज और उमरा का सवाब मिलता है."
हज़रत हसन बिन अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद नक़ल किया गया है, जो शख़्स फ़ज्र की नमा पढ़कर सूरज निकलने तक अल्लाह तअला के ज़िक्र में मशग़ूल रहता है. फिर दो या चार रकअत (इशराक़ की नमाज़) पढ़ता है, तो उसकी खाल को भी दोज़ख़ की आग न छुएगी.