हयातुल वुज़ू की फ़ज़ीलत
Author: Admin Labels:: अल्लाह के नबी, इबादत, इस्लाम, बयान, वुज़ूवुज़ू के बाद दो रकअत नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत
जिसने वुज़ू किया और अच्छी तरह वुज़ू किया, फिर अच्छी तरह दिल और दिमाग़ को हाज़िर रखकर दो रकअत नमाज़ पढ़ी, उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती है.
(सही मुस्लिम)
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हज़रत बिलाल रज़िअल्लाहु अन्हु से फ़रमाया- ऐ बिलाल ! (रज़िअल्लाहु अन्हु) मुझे अपना वह अमल बताओ जिस पर इस्लाम लाने के बाद तुमको सबसे ज़्यादा अज्र और सवाब की उम्मीद है, क्योंकि मैंने अपने आगे जन्नत में तुम्हारी जुतियों की आवाज़ सुनी है. हज़रत बिलाल (रज़िअल्लाहु अन्हु) ने कहा- मैंने रात या दिन को जिस वक़्त भी वुज़ू किया है, उस वज़ू से जो नमाज़ अल्लाह पाक ने मेरी क़िस्मत में लिखी, वह मैंने ज़रूर पढ़ी है. बस यही वह अमल है, इस्लाम लाने के बाद मैं इस पर सबसे ज़्यादा अज्र और सवाब की उम्मीद रखता हूं.
(सही बुख़ारी)