दुआ की फ़ज़ीलत
Author: Admin Labels:: इबादत, इस्लाम, दुआ, मग़फ़िरतइंसान को हमेशा दुआ मांगते रहना चाहिए, अपने लिए, सबके लिए, कुल कायनात के लिए...
✏ दुआ करना अफ़ज़ल इबादत है. (हाकिम)
✏ दुआ ख़ुद एक इबादत है. (नसाइ)
✏ दुआ इबादत ही है. (अहमद)
✏ दुआ मोमिन का हथियार है. (हाकिम)
✏ अल्लाह की नज़र में दुआ से ज़्यादा क़ाबिल-ए-क़द्र कोई भी चीज़ नहीं है. (तिर्मिज़ी)
✏ जो अल्लाह से दुआ नहीं करता, उससे वह नाराज़ होता है. (अबु दाऊद)
✏ जब कोई अल्लाह पाक से मांगे, तो ज़्यादा से ज़्यादा मांगे, क्योंकि वह अपने रब से मांग रहा है. (इब्न हब्बान)
✏ दुआ के सिवा कोई ची तक़दीर को बदल नहीं सकती. (तिर्मिज़ी)
✏ अल्लाह पाक से दुआ किया करो, इस हाल में कि तुम्हें उसकी क़ुबूलीयत का यक़ीन हो, जान लो कि अल्लाह ग़ाफ़िल और बेपरवाह दिल की दुआ क़ुबूल नहीं करता. (तिर्मिज़ी)
✏ जिसे यह पसंद हो कि अल्लाह पाक तंगदस्ती के वक़्त उसकी दुआएं क़ुबूल फ़रमाए, वह ख़ुशहाली में दुआ की कसरत किया करे. (तिर्मिज़ी)
✏ अल्लाह पाक इस बात को नापसंद फ़रमाता है कि कोई बन्दा उसकी बारगाह में हाथ उठाए और वह उसे ख़ाली लौटा दे. (तिर्मिज़ी)
✏ अल्लाह पाक ज़्यादा दुआएं क़ुबूल करने वाला है. (अहमद)
✏ अज़ाब-ए-क़ब्र से अल्लाह की पनाह मांगो. (इब्न हब्बान)
✏ मैय्यत के लिए ज़िन्दों का बेहतरीन तोहफ़ा दुआ है. (अहमद)
✏ जो कोई तमाम मोमिन मर्दों और औरतों के लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करता है, अल्लाह पाक उसके लिए तमाम मोमिन मर्द और औरत के बदले एक नेकी लिख देता है. (तबरानी)
✏ जो शख़्स अल्लाह पाक से तीन बार जन्नत का सवाल करे, तो जन्नत कहती है- ऐ अल्लाह ! इस को जन्नत में दाख़िल कर दे और जो शख़्स तीन बार जहन्नम से पनाह मांगे, तो जहन्नम कहती है- ऐ अल्लाह ! इस को जहन्नम से बचा ले. (तिर्मिज़ी)
जब तुम अल्लाह पाक से सवाल करो, तो जन्नतुल-फ़िरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का आला और अफ़ज़ल हिस्सा है. (बुख़ारी)
अल्लाहुम्मा इन्नी असआलुकल जन्नतुल-फ़िरदौस
(तर्जुमा: ऐ अल्लाह! मैं तुझ से जन्नतुल फ़िरदौस का सवाल करता हूं)
✏ जो भी मुसलमान दुआ करता है, जिसमें कोई बुराई न हो और न रिश्तेदारों के साथ क़तअ ताल्लुक़ी होती हो, तो अल्लाह उस दुआ के बदले इन तीन बातों मे से कोई एक ज़रूर अता फ़रमाता है-
या जल्दी ही उसकी दुआ क़ुबूल फ़रमाता है.
या उसे आख़िरत के लि महफ़ूज़ रख लिया जाता है.
या उसके बदले कोई आफ़त और मुसीबत दूर कर दी जाती है. (अहमद)
आमीन, सुम्मा आमीन
दुआ के बाद आमीन कहना सुन्नत है. (हाकिम)