सवाब
Author: Admin Labels:: ख़िदमत-ए-ख़ल्क, फ़िरदौस ख़ान की क़लम से, सवाबहम कोई आलिम नहीं हैं, आमिल नहीं हैं... बस हमारी यही कोशिश है कि हमने अपने बड़ों से जो अच्छी और दीनी बातें सीखी हैं, उन्हें दूसरों तक पहुंचा सकें... आपसे ग़ुज़ारिश है कि राहे-हक़ की तहरीरों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाकर इस नेक मुहिम में हिस्सेदार बनें. ये काम भी सदक़ा-ए-जारिया है- फ़िरदौस ख़ान
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* प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया है- अल्लाह उसके चेहरे को रौशन करे, जो हदीस सुनकर आगे पहुंचाता है.
1. सदक़ा-ए-जारिया का
2. उस इल्म का, जिससे लोग फ़ायदा उठाएं.
3. नेक औलाद का, जो उसके लिए दुआ करे
(सहीह मुस्लिम, जिल्द 3, किताबुल-वसिया, हदीस 4005)