ईमान जिसे कहते हैं फ़रमान-ए-ख़ुदा है...
Author: Admin Labels:: दावत-ए-हक़, फ़िरदौस ख़ान की क़लम सेफ़िरदौस ख़ान
हमारी तहरीरें कुल कायनात के लिए हैं... सिर्फ़ मुसलमानों के लिए ही नहीं हैं... सब ख़ुदा के बंदे हैं, वो अच्छे हों या बुरे... ख़ुदा न जाने कब, कहां, किसे, कैसे हिदायत दे दे, ये सिर्फ़ वो ही जानता है... वो जिसे चाहता है, उसे नवाज़ता देता है...
अगर हम सिर्फ़ एक बात गांठ बांध लें कि हम किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, तो यक़ीन मानें हम बहुत-सी बुराइयों से ख़ुद ब ख़ुद दूर होते चले जाएंगे...
ये हमारी कमी है कि हम बुरी बातों को तो हर तरफ़ फैला देते हैं, लेकिन अच्छी बात जहां सुनते हैं, उसे वहीं छोड़ देते हैं...
हम अपनी दौलत की तो ख़ूब हिफ़ाज़त करते हैं, जो यहीं रह जानी हैं... लेकिन जो ईमान साथ जाना है उसे बचाने के लिए क्या करते हैं...? ज़रा सोचिये...
हमारी इस तहरीर से किसी एक को भी फ़ायदा हुआ, तो हमारा लिखना कामयाब हो जाएगा...
हम सबको नेक राह चलाना मेरे अल्लाह
बंदों को बुराई से बचाना मेरे अल्लाह
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
इक वाक़िया सुनाती हूं मैं अपनी ज़ुबानी
अपने बड़ों से मैंने सुनी है ये कहानी
रहता था किसी शहर में एक ऐसा भी इंसान
जो नाम का मुस्लिम था, मगर काम का शैतान
ज़ालिम को ज़ोर-ए-बाज़ू पे अपने ग़ुरूर था
यानी के बेख़ुदी में ख़ुदा से वो दूर था
सब लोग उसे कहते थे जल्लाद सितमगर
मासूम की फ़रियाद का उस पे ना था असर
जो वादा उसने कर लिया, वो करके दिखाया
पैसों के लिए क़त्ल किए, ख़ून बहाया
इक दिन वो बहता ख़ून असर उस पे कर गया
इंसान ज़िंदा हो गया, शैतान मार गया
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
ईमान जिसे कहते हैं फ़रमान-ए-ख़ुदा है
क़ुरान के हर लफ़्ज़ में उसकी ही सदा है
अल्लाह ने बख़्शी है जो ईमान की दौलत
ये सबसे बड़ी चीज़ है इंसान की दौलत
सोये हुए दिलों को जगाता है ये ईमान
भटके हुओं को राह दिखता है ये ईमान
ईमान की गर्मी से पिघल जाते हैं पत्थर
इस नूर से बनते हैं संवरते हैं मुक़द्दर
जो सबसे प्यार करता है इंसान वही है
मुस्लिम है वही, साहिबे-ईमान वही है
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
जिस काम के करने पे ना हो राज़ी कोई दिल
वो कम भी इस दुनिया में नफ़रत के है क़ाबिल
जो कुछ भी ज़ुबान कह दे वो इक़रार नहीं है
लग़ज़िश है लबों की वो गुनाहगार नहीं है
जो दिल से नहीं करता बुराई का इरादा
अल्लाह से वो तौबा करे, तोड़ दे वादा
जल्दी जो संभाल जाए, वो नादान नहीं है
ईमान जिसमें हो, वो बेईमान नहीं है
दुनिया में हमेशा तो नहीं रहता अंधेरा
इंसान जहां जागे वहीं पे है सवेरा
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
जो सच्चे दिल से करता है ईमां की आरज़ू
अल्लाह की नज़रों में वो होता है सुर्ख़रू
ईमां में क्या-क्या ना सहा प्यारे नबी ने
क्या ऐसी मुसीबत भी उठाई है किसी ने
करबल के शहीदों ने सबक़ हमको पढ़ाया
सजदे में दे के जान को ईमान बचाया
इस राह में जो सहते हैं तक़लीफ़-ओ-मुसीबत
इक रोज़ उन पे होती है अल्लाह की रहमत
इंसां है वो जो दूसरों का दिल न दुखाये
पड़ जाए अगर जान पे तो जान लुटाये
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना
अल्लाह करम करना, मौला तू रहम करना...
तस्वीर गूगल से साभार