हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का कुंआ
Author: Admin Labels:: इस्लाम, ख़िदमत-ए-ख़ल्क, तब्सिरा, दावत-ए-हक़सऊदी अरब के एक बैंक में ख़लीफ़ा-ए-सोम हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का आज भी चालू बैंक खाता है.
ये जानकर आपको हैरत होगी कि मदीना मुनव्वरा की नगर पालिका में हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर बाक़ायदा जायदाद रजिस्टर्ड है. आज भी हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर बिजली और पानी का बिल आता है.
मस्जिद-ए-नबवी के पास आली शान रिहायशी होटल ज़ेर-ए-तामीर है, जिसका नाम उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु होटल है. ये वो अज़ीम सदक़ा जारिया है, जो हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नीयत का नतीजा है.
जब मुसलमान हिजरत करके मदीना मुनव्वरा पहुंचे, तो वहां पीने के साफ़ पानी की बड़ी क़िल्लत थी. एक यहूदी का कुंआ था, जो मुसलमानों को पानी महंगे दामों में फ़रोख़्त करता था. इस कुंए का नाम बर्र रूमा यानी रूमा कुंआ था. मुसलमानों ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शिकायत की और अपनी परेशानी से आगाह किया. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- "कौन है जो ये कुंआ ख़रीदे और मुसलमानों के लिए वक़्फ़ कर दे? ऐसा करने पर अल्लाह तआला उसे जन्नत में चश्मा अता करेगा.
हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु यहूदी के पास गए और कुंआ ख़रीदने की ख़्वाहिश का इज़हार किया. कुंआ चूंकि मुनाफ़ा बख़्श आमदनी का ज़रिया था, इसलिए यहूदी ने फ़रोख़्त करने से इनकार कर दिया. हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने ये तदबीर की कि यहूदी से कहा पूरा कुंआ न सही, आधा कुंआ मुझे फ़रोख़्त कर दो, आधा कुंआ फ़रोख़्त करने पर एक दिन कुंए का पानी तुम्हारा होगा और दूसरे दिन मेरा होगा. यहूदी लालच में आ गया. उसने सोचा इस तरह ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने का मौक़ा मिल जाएगा. उसने आधा कुंआ हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को फ़रोख़्त कर दिया. हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने दिन मुसलमानों को कुंए से मुफ़्त पानी लेने की इजाज़त दे दी. लोग हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के दिन मुफ़्त पानी हासिल करते और अगले दिन के लिए भी ज़ख़ीरा कर लेते.
यहूदी के दिन कोई भी शख़्स पानी ख़रीदने नहीं जाता. यहूदी ने देखा कि उसकी तिजारत मांद पड़ गई है, तो उसने हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से बाक़ी आधा कुंआ भी ख़रीदने की गुज़ारिश की. इस पर हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु राज़ी हो गए और पूरा कुंआ ख़रीद कर मुसलमानों के लिए वक़्फ़ कर दिया. इस दौरान एक आदमी ने हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु को कुंआ दोगुनी क़ीमत पर ख़रीदने की पेशकश की. हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि मुझे इससे कहीं ज़्यादा की पेशकश है. उसने कहा मैं तीन गुना दूंगा. उन्होंने फ़रमाया- मुझे इससे कई गुना की पेशकश है. उसने कहा- मैं चार गुना दूंगा. हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया- मुझे इससे कहीं ज़्यादा की पेशकश है. इस तरह वो आदमी रक़म बढ़ाता गया और हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु यही जवाब देते रहे. यहां तक कि उस आदमी ने कहा कि हज़रत आख़िर कौन है, जो आपको दस गुना देने की पेशकश कर रहा है? हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि मेरा रब मुझे एक नेकी पर दस गुना अज्र देने की पेशकश करता है.
वक़्त गुज़रता गया और ये कुंआ मुसलमानों को सैराब करता रहा. यहां तक कि कुंए के आसपास खजूरों का बाग़ बन गया. उस्मानी सल्तनत के दौर में इस बाग़ की देखभाल हुई. बाद अज़ सऊदी के अहद में इस बाग़ में खजूरों के दरख़्तों की तादाद पंद्रह सौ पचास हो गई. ये बाग़ नगरपालिका में हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर रजिस्टर्ड है. वज़ारत-ए-ज़राआत यहां के खजूर बाज़ार में फ़रोख़्त करती और उससे हासिल होने वाली आमदनी हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर बैंक में जमा करती रही. यहां तक कि खाते में इतनी रक़म जमा हो गई कि मर्कज़ी इलाक़े में ज़मीन का एक टुकड़ा लिया गया, जहां हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर एक रिहायशी होटल तामीर किया जाने लगा. इस होटल से सालाना पचास मिलियन रियाल आमदनी मुतवक़्क़े है, जिसका आधा हिस्सा ग़रीबों और मिस्कीनों में तक़सीम होगा, बाक़ी आधा हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु के बैंक खाते में जमा होगा.
अंदाज़ा कीजिए कि हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इन्फ़ाक़ को अल्लाह तअला ने कैसे क़बूल फ़रमाया और उसमें ऐसी बरकत अता की कि क़यामत तक उनके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन गया.
अल्लाह हम सबको राहे-हक़ पर चलने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए, आमीन