रोटी बैंक
Author: Admin Labels:: ख़िदमत-ए-ख़ल्क, फ़िरदौस ख़ान की क़लम सेफ़िरदौस ख़ान
इंसान चाहे, तो क्या नहीं कर सकता. उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले के बाशिन्दों ने वो नेक कारनामा कर दिखाया है, जिसके लिए इंसानियत हमेशा उन पर फ़ख़्र करेगी. बुंदेली समाज के अध्यक्ष हाजी मुट्टन चच्चा और संयोजक तारा पाटकर ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक ऐसे बैंक की शुरुआत की है, जो भूखों को रोटी मुहैया कराता है.
बीती 15 अप्रैल से शुरू हुए इस बैंक में हर घर से दो रोटियां ली जाती हैं. शुरू में इस बैंक को सिर्फ़ 10 घरों से ही रोटी मिलती थी, लेकिन रफ़्ता-रफ़्ता इनकी तादाद बढ़ने लगी और अब 400 घरों से रोटियां मिलती हैं. इस तरह हर रोज़ बैंक के पास 800 रोटियां जमा हो जाती हैं, जिन्हें पैकेट बनाकर ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है. इस वक़्त 40 युवा और पांच वरिष्ठ नागरिक इस मुहिम को चला रहे हैं.
शाम को युवा घर-घर जाकर रोटी और सब्ज़ी जमा करते हैं. फिर इनके पैकेट बनाकर इन्हें उन लोगों को पहुंचाते हैं, जिनके पास खाने का कोई इंतज़ाम नहीं है. पैकिंग का काम महिलाएं करती हैं. इस काम में तीन से चार घंटे का वक़्त लगता है. फ़िलहाल बैंक एक वक़्त का खाना ही मुहैया करा रहा है, भविष्य में दोनों वक़्त का खाना देने की योजना है.
इस नेक काम में लगे लोग बहुत ख़ुश हैं. अगर देशभर में इस तरह के रोटी बैंक खुल जाएं, तो फिर कोई भूखा नहीं सोएगा.
तस्वीर गूगल से साभार