नमाज़ का तर्जुमा

Author: Admin Labels:: , , ,


सूरह हम्द का तर्जुमा

بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ«1»     शुरु करता हूँ, उस अल्लाह के नाम से जो दुनिया में मोमिनों व काफ़िरों सब पर रहम करता है और आख़ेरत में मोमिनों पर रहम करेगा।
الْحَمْدُ لِلّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ «2»   सारी तारीफ़े उस अल्लाह के लिये मख़सूस हैं जो जहानों की परवरिश करने वाला है।
اَلرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ «3» जो दुनिया में सब पर रहम करने वाला और आख़िरत में सिर्फ़ मोमिनीन पर रहम करने  वाला है।
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ «4» जो क़ियामत के दिन का मालिक है।
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ «5» हम सिर्फ़ तेरी इबादत करते हैं और सिर्फ़ तुझ से मदद माँगते हैं।
اِهْدِنَا الصِّرَاطَ المُسْتَقِيمَ «6» हम को सिराते मुसतक़ीम पर साबित क़दम रख।
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنعَمْتَ عَلَيهِمْ  ऐसे लोगों का रास्ता जिन पर तूने अपनी नेअमतें नाज़िल की है।( वह पैग़म्बर और ुनके जानशीन हैं)
غَيرِ المَغضُوبِ عَلَيهِمْ وَلاَ الضَّالِّينَ उन लोगों का रास्ता नही जिन पर तूने क़हर नाज़िल किया और न उन लोगों का रास्ता जो गुमराह हैं।

सूरः ए क़ुल हुवल्लाहु अहद का तर्जुमा

بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ«1 शुरु करता हूँ, उस अल्लाह के नाम से जो दुनिया में मोमिनों व काफ़िरों सब पर रहम करता है और आख़ेरत में मोमिनों पर रहम करेगा।
قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ «2» ऐ मेरे नबी आप कह दीजिए वह अल्लाह एक है।
اللَّهُ الصَّمَدُ «3»  वह सबसे बेनियाज़ है। ( उसे किसी की अवश्यक्ता नही है)
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ «4» न उसके कोई औलाद है और न वह किसी की औलाद है। 
وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ «5» यानी तमाम मख़लूक़ात में कोई उसके जैसा नही है।

रूकूअ और सजदे के ज़िक्र की तर्जुमा

سبحان ربي العظيم و بحمده मेरा अज़ीम अल्लाह हर बुराई और कमी से पाक व पाकीज़ा है और मैं उसकी हम्द कर रहा हूँ।
سبحان ربي الاعلي و بحمده. मेरा अल्लाह जो सबसे बड़ा है, वह हर बुराई और कमी से पाक व पाक़ीज़ा है और मैं उसकी हम्द कर रहा हूँ।

रुकूअ और सजदे के बाद के ज़िक्र का तर्जुमा

سمع الله لمن حمده  यानी अल्लाह, तारीफ़ करने वालों की तारीफ़ को सुनता और क़बूल करता है।
استغفر الله ربي و اتوب اليه  मैं, उस अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी चाहता हूँ जो मेरा पालने वाला है और मैं उसकी तरफ़ पलटता हूँ।
بحول الله وقوته اقوم و اقعود     यानी मैं अल्लाह की मदद और ताक़त से उठता बैठता हूँ।

क़ुनूत का तर्जुमा

 لا اله الا  الله الحليم الكريم لا اله الا  الله العلي العظيم سبحان الله رب السموات السبع و الارضين السبع و ما بينهن ورب العرش العظيم و الحمد لله رب العلمين कोई इबादत के लायक़ नही है, सिवाए उस अल्लाह के जो हिल्म और करम वाला है और कोई बंदगी के लायक नही है सिवाए उस अल्लाह के जो बुलंद मर्तबा और बुज़ुर्गी व अज़मत वाला है।  पाक व पाक़ीज़ा है वह अल्लाह जो सात आसमानों व ज़मीनों और उन दोनो उनके दरमियान की हर चीज़ और अर्शे अज़ीम का परवरदिगार है। हम्द व तारीफ़, उस अल्लाह से मख़सूस है जो तमाम मौजूदात का मालिक है।

तसबीहात का तर्जुम

سبحان الله و الحمد لله ولا اله الا الله و الله اكبر   अल्लाह तअला पाक व पाक़ीज़ा है, हम्द व तारीफ़ उसी के लिये मख़सूस है, उसके अलावा कोई माबूद नही है, अल्लाह उससे कहीँ बड़ा है कि उसकी तारीफ़ की जाये।

तशह्हुद का तर्जुमा

اشهد ان لا اله الا الله وحده لا شريك له मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई इबादत के क़ाबिल नही है वह अकेला है उसका कोई शरीक नही है।
و اشهد ان محمدا عبده و رسوله   और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद(स) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
اللهم صل علي محمد وال محمد  ऐ अल्लाह, मुहम्मद और उनकी औलाद पर रहमतें नाज़िल कर।

सलाम का तर्जुमा

 السلام عليك ايها النبي و رحمة الله و بركاته ऐ नबी, आप पर सलाम हो और आप पर अल्लाह की रहमत व बरकत नाज़िल हो।
السلام علينا  وعلي عباد الله الصالحين   हम पर और अल्लाह के तमाम नेक बंदों पर सलाम हो।
السلام عليكم  و رحمة الله و بركاته   ऐ मोमिनों, तुम पर सलाम और तुम पर अल्लाह की रहमतें और बरकतें नाज़िल हों।

ताक़ीबाते नमाज़ (नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली चीज़ें)

1141.मुस्तहब है कि इंसान नमाज़ के बाद ज़िक्र व दुआ व तिलावते क़ुरआन करे और उसी चीज़ को "ताक़ीब" कहते हैं। बेहतर है कि अपनी जगह से उठने और वुज़ू टूटने से पहले क़िबले की तरफ़ मुँह करके ताक़ीबात पढ़े और यह ज़रूरी नही कि ताक़ीबात अरबी में पढ़े, लेकिन बेहतर है कि उन चीज़ों को पढ़े जिनके बारे में दुआओ की किताबों में बयान हुआ है। जिस ताक़ीब की सबसे ज़्यादा ताकीद की गई है वह हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) की तस्बीह है जिसमें 34 बार अल्लाहु अकबर, 33 बार अलहम्दु लिल्लाह और 33 बार सुब्हान अल्लाह है। सुब्हान अल्लाह को अलहम्दु लिल्लाह से पहले पढ़ सकते हैं लेकिन बेहतर यही है कि सुब्हान अल्लाह को बाद में ही कहा जाये।
1142.मुस्तहब है कि इंसान नमाज़ के बाद एक सजद ए शुक्र करे और इसके लिए इतना काफ़ी है कि इंसान अपने सर को शुक्र की निय्यत से ज़मीन पर रखदे। लेकिन बेहतर है कि 100 बार या 3 बार या 1 बार शुकरन लिल्लाह,या शुकरन, या अफ़वन, कहे। इसी तरह यह भी मुसतहब है कि जब इंसान को कोई नेमत मिले या ुससे कोई मुसीबत टले तो फ़ौरन शुक्र का सजदा करे।

पैग़म्बरे इस्लाम (स.) पर सलवात भेजना

1143.जब इंसान पैग़म्बरे इस्लाम (स) का कोई नाम जैसे मुहम्मद, अहमद, या लक़ब व कूनिय्यत जैसे मुस्तफा, अबुल क़ासिम, वग़ैरह अपनी ज़बान से ले या किसी दूसरे से सुने, तो मुसतहब है कि आप पर सलवात भेजे, चाहे नमाज़ की हालत में ही हो।
1144.पैग़म्बरे इस्लाम (स) का नाम लिखते वक़्त सलवात का लिखना मुस्तहब है। बेहतर है कि जब भी हज़रत(स) को याद करे आप पर सलवात भेजे।
Courtesy lankarani

0 comments |

Post a Comment

या हुसैन

या हुसैन

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

List

My Blog List

  • Desires - There comes a time in life when a person gets tired of struggling. His desires die.The hope ends. Then he has no hope of anything good happening in life....
  • सालगिरह - आज हमारी ईद है, क्योंकि आज उनकी सालगिरह है. और महबूब की सालगिरह से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता. अगर वो न होते, तो हम भी कहां होते. उनके दम से ही हमारी ज़...
  • हमारा जन्मदिन - कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे लिए किस...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • 27 सूरह अन नम्ल - सूरह अन नम्ल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 93 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. ता सीन. ये क़ुरआन और रौशन किताब की आयतें...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

Popular Posts

Followers

Translate

Powered by Blogger.

Search This Blog

इस बलॊग में इस्तेमाल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
banner 1 banner 2