फ़ज्र की दो रकअतें
Author: Admin Labels:: इबादत, इस्लाम, नमाज़एक बार जिब्राईल (अस) ने अर्ज़ किया-
या अल्लाह मैं आपकी इबादत करना चाहता हूं.
अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त ने फ़रमाया- कर लो.
उन्होंने दो रकअत नमाज़ की नीयत बांधी. उन्होंने एहतराम के साथ नमाज़ अदा की और 40 साल के बाद सलाम फेरा.
अल्लाह ने फ़रमाया कि तुमने बहुत अच्छी नमाज़ पढ़ी, लेकिन एक उम्मत आने वाली है, जिसकी फ़ज्र की दो सुन्नतें, तेरी इन दो रकअतों से बढ़कर होंगी.
* हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया-
फ़ज्र की नमाज़ से पहली की दो रकअतें (सुन्नत) दुनिया और दुनिया की तमाम चीज़ों से ज़्यादा बेहतर हैं.
(सही मुस्लिम)
आइये फ़ज्र की नमाज़ का एहतमाम करें, ताकि दुनिया की अफ़ज़ल चीज़ें हमें हासिल हो जाएं, आमीनEk Bar Jibrail (AS) Ne Arz Kiya
Ya Allah Mai Apki Ibadat Karna Chahta Hoon.
Allah Rab-ul-izzat Ne Farmaya Karlo.
Unhone 2 Rakat Namaz Ki Niyat Bandhi.
Unhone Is Ehtmam K Sath Namaz Ada Ki Aur 40,000 Sal K Bad Salam phera.
Allah Ne Farmaya K Tumne Bahut Achchhi Namaz Padh,i Lekin Ek UMMAT Aane wali Hai Jiski FAJAR Ki 2 Sunnaten Teri In 2 Rakaton Se Badkar hongi.