सूफ़ी की दावत
Author: Admin Labels:: सबक़, सूफ़ीएक बहुत बड़े सूफ़ी को उनके एक शागिर्द ने खाने पर बुलाया. सूफ़ी साहब ने शागिर्द से पूछा, तुमने मेरे खाने के लिए क्या इंतज़ाम किया है. शागिर्द ने सब बताया. सूफी साहब ने कहा, क्या तुमने शराब का बंदोबस्त किया है? शागिर्द हैरान हो गया. सूफ़ी साहब ने कहा, क्या तुमको नहीं मालूम कि मै शराब पीता हूं. ख़ैर, शराब मंगाई गई और खाने के साथ रखी गई. सूफ़ी साहिब ने शराब को हाथ नहीं लगाया.
शागिर्द ने पूछा, हुज़ूर शराब क्यों नही पी रहे? सूफ़ी साहब ने कहा, मै शराब नहीं पीता. शागिर्द को और हैरानी हुई. उसने कहा तब आपने शराब क्यों मंगवाई? सूफ़ी साहिब ने कहा, अगर तुमने शराब न मंगवाई होती, तो मै खाना न खाता. शागिर्द ने पूछा , क्यों? इस पर सूफ़ी साहिब ने कहा कि इससे ये साबित होता कि तुम्हारे दिल में उन लोगों के लिए कोइ जगह नहीं है जिनके यक़ीन (विश्वास/आस्था) तुम्हारे यक़ीन के उलटे ( विपरीत) हैं, बरअक्स है.
-असग़र वज़ाहत