अल्फ्रेड नोबेल ने ग़लती सुधार ली

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डायनामाईट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु की जब अफ़वाह उडी, और अगले दिन सारे अख़बारों में यही हेडलाइन छपी तो हस्बे मामूल अल्फ्रेड नोबेल ने भी यह ख़बरें पढ़ीं. ख़बरों की हेडिंग कुछ इस तरह से थी-   "बारूद का शहंशाह दुनिया से रुखसत" "मौत का सौदागर ख़ुद मौत की आगोश में" इत्यादि.....
नोबेल को अचानक एहसास हुआ कि उनकी मौत के बाद उन्हें लोग ऐसे याद रखेंगे? और अगले दिन नोबेल ने इस " नोबेल अवार्ड" का मन बनाया जिसमे अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति (उस समय लगभग 500 मिलियन डॉलर और मृत्यु के समय 900 मिलियन डॉलर) पूरी बैंक में रखी जानी थी और उसका इंटरेस्ट हर साल भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और मेडिकल फील्ड में 'मानव जाti का उद्धार' करने वाले आविष्कारों और आविष्कारकों को दिया जाएगा.
अल्फ्रेड नोबेल को वक़्त मिल गया था अपनी ग़लती सुधारने का... सबको नहीं मिलता.
-हैदर रिज़वी

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