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Raah-e-Haq is my spiritual blog. It is based on the Quran teaches. In an Islamic context, it has been interpreted as the right path, that which pleases Allah.
This is included when the believer recites Surah Al-Fatiha. Ihdina s-siraata l-mustaqeem, Siraata l-ladheena anamta alaihim ghair al-maghdhoobi alaihim wa la dhaaleen.
Show us the straight path, The path of those You bestowed favor upon, not anger upon, and not of those who go astray.

The Quran teaches love and compassion for every human being, no matter their religion.
Firdaus Khan

बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम...
दुनिया के हर मज़हब का मक़सद ख़ुदा को पाना रहा है... सबके तरीक़े जुदा हो सकते हैं, लेकिन मक़सद एक ही है... हाल में हमने ’राहे-हक़’ नाम से एक ब्लॊग बनाया है... इस बलॊग का मक़सद रूहानी सफ़र पर ले जाना है... एक ऐसा सफ़र, जिसकी मंज़िल सिर्फ़ और सिर्फ़ दीदारे-इलाही है... ’राहे-हक़’ कुल कायनात के लिए है. 
इस बलॊग में सबसे पहले अल्लाह की पाक किताब क़ुरआन को शामिल किया गया है. क़ुरआन का  इंग्लिश तर्जुमा दिया गया है. हमारी कोशिश है कि हम अलग-अलग भाषाओं में क़ुरआन के तर्जुमे को इसमें शामिल करें. हमने क़ुरआन करीम को आम ज़ुबान में पेश करने की कोशिश की है. कुछ सूर: के आसान तर्जुमे को ’राहे-हक़’ पर पढ़ा जा सकता है.

हमारी कोशिश है कि अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, अल्लाह के नबियों और वलियों की ज़िन्दगी के वाक़ियात भी पेश करें... इबादत से वाबस्ता इल्म, मसलन नूरानी रातें, दुआओं की फ़ज़ीलत और सुनहरे अक़वाल भी इसमें शामिल करें. फ़िलहाल यह एक शुरुआत है और सफ़र बहुत लंबा है. 
आपके पास भी ’राहे-हक़’ के लिए कोई सलाह या प्रकाशन सामग्री हो, तो कमेंट में लिख सकते हैं या हमें मेल raahe-haq.firdauskhan@gmail.com कर सकते हैं.  इसे भेजने वाले के नाम से शाया कर दिया जाएगा.
सिर्फ़ अपने लिए जिये, तो क्या जिये...
इंसान को कुछ वक़्त ख़िदमते-ख़ल्क के लिए भी निकालना चाहिए...
असल ज़िन्दगी तो वही है, जो दूसरों के काम आए... 

5 अप्रैल 2015 

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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