नेकी राहत है, सुकून है...
Author: Admin Labels:: ख़िदमत-ए-ख़ल्क, फ़िरदौस ख़ान की क़लम सेफ़िरदौस ख़ान
गरमी के मौसम में प्यासे राहगीरों को ठंडा पानी पिलाने से बड़ा सवाब भला और क्या हो सकता है... आसपास कई मिसालें मिल जाती हैं... पहले जहां राहगीरों के लिए सड़कों के क़रीब कुएं खुदवाए जाते थे और जगह-जगह घने दरख़्तों के नीचे पानी के मटके रखे जाते थे, वहीं अब पक्के प्याऊ बनाए जाते हैं और कई जगह ठंडे पानी की टंकियां भी रखी जाती हैं... देहात और क़स्बों में आज भी पानी के मटके देखे जा सकते हैं... कुछ लोग वक़्त निकालकर राहगीरों को ख़ुद पानी पिलाते हैं...
जहां आसपास पीने का पानी न हो, वहां अगर पानी से भरे कुछ घड़े रख दिए जाएं, तो कितना अच्छा हो... है न