नेकी राहत है, सुकून है...

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फ़िरदौस ख़ान
गरमी के मौसम में प्यासे राहगीरों को ठंडा पानी पिलाने से बड़ा सवाब भला और क्या हो सकता है... आसपास कई मिसालें मिल जाती हैं... पहले जहां राहगीरों के लिए सड़कों के क़रीब कुएं खुदवाए जाते थे और जगह-जगह घने दरख़्तों के नीचे पानी के मटके रखे जाते थे, वहीं अब पक्के प्याऊ बनाए जाते हैं और कई जगह ठंडे पानी की टंकियां भी रखी जाती हैं... देहात और क़स्बों में आज भी पानी के मटके देखे जा सकते हैं... कुछ लोग वक़्त निकालकर राहगीरों को ख़ुद पानी पिलाते हैं...
जहां आसपास पीने का पानी न हो, वहां अगर पानी से भरे कुछ घड़े रख दिए जाएं, तो कितना अच्छा हो... है न

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بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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