फ़हम अल क़ुरआन

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हम फ़हम अल क़ुरआन लिख रहे हैं. ये कोई आसान काम नहीं है. एक-एक लफ़्ज़ पर ग़ौर-ओ-फ़िक्र करना होता है. सारी तवज्जो इसी बात पर होती है कि कहीं ज़रा सी भी चूक न हो जाए.
फिर सोचते हैं कि जिस मौला ने इस अज़ीम और मुक़द्दस काम को करने की हिदायत दी है, वही इसे मुकम्मल भी कराएगा. ये हमारा यक़ीन है अपने पाक परवरदिगार पर. फिर अल्लाह के महबूब और हमारे प्यारे आक़ा हज़रत मुहम्मद सललल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेहर भी तो है.
इस अज़ीम काम को करते वक़्त पापा बहुत याद आते हैं. बचपन में पापा क़ुरआन करीम के बारे में हमें बताया करते थे. वे कहा करते थे कि क़ुरआन एक मुकम्मल पाक किताब है. ये हिदायत भी है और शिफ़ा भी. 
आपसे दुआओं की दरख़्वास्त है
फ़िरदौस ख़ान     
20 अप्रैल 2015
#फ़हम_अल_क़ुरआन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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