हज़रत सरमद रहमतुल्लाह अलैहि
Author: Admin Labels:: फ़िरदौस ख़ान की क़लम से, बयान, सूफ़ी
फ़िरदौस ख़ान
दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के क़रीब हज़रत साहब का मज़ार है... हम अकसर वहां जाते हैं... बहुत सुकून मिलता है... वहां से उठने को दिल नहीं करता...
फ़िलिस्तीन में जन्मे हज़रत सरमद, हज़रत अबुल क़ासिम उर्फ़ हरे-भरे सब्ज़वारी के मुरीद हैं... हज़रत सरमद से वाबस्ता एक वाक़िया पेश कर रहे हैं...
एक रात बादशाह औरंगज़ेब ने ख़्वाब में देखा कि जन्नत में एक बहुत ही ख़ूबसूरत और आलीशान महल है, जिस पर लिखा है- "शहज़ादी ज़ैबुन्निसा का ख़रीदा हुआ महल."
औरंगज़ेब उसमें जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन महल के पहरेदार उन्हें महल के अंदर नहीं जाने देते. अगली सुबह बादशाह ने अपनी 12 साल की बेटी ज़ैबुन्निसा से पूछा कि जन्नत का महल क्या है? इस पर बेटी ने जवाब दिया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के पास हज़रत सरमद एक मिट्टी का घरौंदा बनाकर बैठे थे. मैंने उनसे पूछा कि आप ये क्या कर रहे हैं ? उन्होंने कहा, "मैं जन्नत का महल बनाता हूं." मैंने एक हुक़्क़ा तम्बाक़ू के बदले उस महल को ख़रीद लिया. ये बात सुनकर बादशाह बेचैन हो गए. अगले जुमे को वे जामा मस्जिद गए और हज़रत सरमद से पूछा, "जन्नत का एक महल हमें भी ख़रीदना है." हज़रत सरमद ने जवाब दिया, ख़रीद-फ़रोख़्त हर रोज़ नहीं होती."
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दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के क़रीब हज़रत साहब का मज़ार है... हम अकसर वहां जाते हैं... बहुत सुकून मिलता है... वहां से उठने को दिल नहीं करता...
फ़िलिस्तीन में जन्मे हज़रत सरमद, हज़रत अबुल क़ासिम उर्फ़ हरे-भरे सब्ज़वारी के मुरीद हैं... हज़रत सरमद से वाबस्ता एक वाक़िया पेश कर रहे हैं...
एक रात बादशाह औरंगज़ेब ने ख़्वाब में देखा कि जन्नत में एक बहुत ही ख़ूबसूरत और आलीशान महल है, जिस पर लिखा है- "शहज़ादी ज़ैबुन्निसा का ख़रीदा हुआ महल."
औरंगज़ेब उसमें जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन महल के पहरेदार उन्हें महल के अंदर नहीं जाने देते. अगली सुबह बादशाह ने अपनी 12 साल की बेटी ज़ैबुन्निसा से पूछा कि जन्नत का महल क्या है? इस पर बेटी ने जवाब दिया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के पास हज़रत सरमद एक मिट्टी का घरौंदा बनाकर बैठे थे. मैंने उनसे पूछा कि आप ये क्या कर रहे हैं ? उन्होंने कहा, "मैं जन्नत का महल बनाता हूं." मैंने एक हुक़्क़ा तम्बाक़ू के बदले उस महल को ख़रीद लिया. ये बात सुनकर बादशाह बेचैन हो गए. अगले जुमे को वे जामा मस्जिद गए और हज़रत सरमद से पूछा, "जन्नत का एक महल हमें भी ख़रीदना है." हज़रत सरमद ने जवाब दिया, ख़रीद-फ़रोख़्त हर रोज़ नहीं होती."