तयम्मुम करने का तरीक़ा

Author: Admin Labels::


नमाज़ के लिए वुज़ू शर्त है, और वुज़ू के लिए पानी जरूरी है, यदि आपको पानी न मिल सके तो क्या करेंगे.
अल्लाह तआला ने अपनी असीम दया से मुसलमानों पर यह एहसान भी फ़रमाया है कि नमाज़ का समय हो जाए और खोज के बावजूद पानी न मिले, या पानी मौजूद हो लेकिन उसके प्रयोग से बीमारी में वृद्धि की आशंका हो, तो ऐसी स्थिति में पाकीज़ा मिट्टी या उसके समान सामग्री से तयम्मुम कर के नमाज़ अदा की जा सकती है. अल्लाह का फ़रमान है- “अगर आप पानी उपलब्ध न आए तो पाकीज़ा मिट्टी से तयम्मुम कर लेना करो”. (अल-निसा: 34)  और हज़रत अबू ज़र रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्ल. ने फ़रमाया “बेशक पवित्र मिट्टी मुसलमान की पवित्रता प्राप्त करने का सामान है, यद्यपि उसे दस साल तक पानी उपलब्ध न हो, हां, जब पानी मिल जाए, तो उसे चाहिए कि उसे प्रयोग करे, इसके लिए यही बेहतर है “. (तिर्मिज़ी, अहमद)

तयम्मुम का समय क्या होगा? तो अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्ल.) ने बुखारी और मुस्लिम की रिवायत के अनुसार हज़रत अम्मार बिन यासिर रज़ि. को एक यात्रा में स्नान करने की आवश्यकता पड़ गई, पानी न मिला जिसके कारण उन्होंने ज़मीन पर लोट पोट कर लिया जिस प्रकार जानवर लोट पोट होता है, फिर नमाज़ पढ़ी और यात्रा से लौटने के बाद अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्ल.) के पास आकर घटना से सूचित किया, तो पैग़म्बर सल्ल. ने उनको तयम्मुम करने का तरीक़ा बताते हुए फ़रमाया-
إنما يكفيك أن تقول بيديك هكذا ثم ضرب بكفيه الأرض ونفخ فيهما ثم مسح بهما وجهه وكفيه

यानी ऐ अम्मार! तुम्हारे लिए ऐसा करना काफी था, फिर आपने अपनी दोनों हथेलियों को भूमि पर मारा और उनमें फूंका, फिर उसे अपने चेहरे और हथेलियों पर फेर लिया. इस तरह तयम्मुम का तरीक़ा यह हुआ कि दिल में तयम्मुम की नीयत करें. बिस्मिल्लाह पढ़ें. अपने दोनों हाथ शुद्ध मिट्टी या रेत आदि पर मारें, उनको झाड़ें, और उस में फूंक मारें, फिर चेहरे पर मल लें, फिर दोनों हाथों को एक दूसरे पर कलाई के जोड़ तक मल लें. (बुख़ारी, मुस्लिम) यानी पहले बायां हाथ दाहिने हाथ के पीछे कलाई के जोड़ तक और फिर दाहिना हाथ बाएं के पीछे पर कलाई के जोड़ तक मलें.
साभार दीपक

0 comments |

Post a Comment

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

List

My Blog List

Popular Posts

Followers

Translate

Powered by Blogger.

Search This Blog

इस बलॊग में इस्तेमाल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
banner 1 banner 2