ज़िन्दगी कैसी हो
Author: Admin Labels:: फ़िरदौस ख़ान की क़लम से
कई रोज़ पहले की बात है... अचानक ख़्याल आया कि अगर इसी वक़्त हमें मौत आ जाए, तो कौन से आमाल ऐसे होंगे, जो क़ब्र में हमारे साथ होंगे...?
और लोग हमें किस तरह याद करेंगे या याद रखेंगे...?
ज़िन्दगी तो फ़ानी है... एक दिन इसे ख़त्म होना ही है... मौत एक रोज़ सबको अपने साथ ले जाएगी, किसी को आज तो किसी को कल...
हमें इस तरह से ज़िन्दगी गुज़ारनी चाहिए कि लोग हमें अच्छे इंसान के तौर पर याद करें... हमारी मौत के बाद कोई ये न कह सके कि हमने जानबूझ कर उसे तकलीफ़ पहुंचाई थी या उसका दिल दुखाया था... हालांकि अनजाने में इंसान से ऐसी न जाने कितनी ग़लतियां हो जाती होंगी, जिससे दूसरों को दुख पहुंचता होगा...
लेकिन हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हमसे जाने या अनजाने में कभी किसी का कुछ बुरा न हो, किसी को कोई दुख न हो... हमारी ज़ात से कभी किसी को कोई तकलीफ़ न पहुंचे...
अगर हम सिर्फ़ एक बात गांठ बांध लें कि हम किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, तो यक़ीन मानें हम बहुत-सी बुराइयों से ख़ुद ब ख़ुद दूर होते चले जाएंगे...
अब बात आख़िरत की... हम अपने घर को रौशन करने के लिए तरह-तरह की लाइटें लगाते हैं... गर्मी से बचने के लिए हमें एसी चाहिए... क्या कभी आपने सोचा है कि क़ब्र में कितना अंधेरा होगा और कितनी गर्मी होगी... ?
क़ब्र के अंधेरे और गर्मी से बचने के लिए हमने अब तक क्या किया है...?
एक हदीस के मुताबिक़ हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- क़यामत के दिन बन्दा उस वक़्त तक क़दम न बढ़ा सकेगा, जब तक उससे ये चार सवालात न कर लिए जाएं
अपनी उम्र किन कामों में गुज़ारी ?
अपने इल्म पर कितना अमल किया ?
माल किस तरह कमाया और कहां ख़र्च किया ?
अपने जिस्म को किन कामों में बोसीदा किया ?
फ़िरदौस ख़ान
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और लोग हमें किस तरह याद करेंगे या याद रखेंगे...?
ज़िन्दगी तो फ़ानी है... एक दिन इसे ख़त्म होना ही है... मौत एक रोज़ सबको अपने साथ ले जाएगी, किसी को आज तो किसी को कल...
हमें इस तरह से ज़िन्दगी गुज़ारनी चाहिए कि लोग हमें अच्छे इंसान के तौर पर याद करें... हमारी मौत के बाद कोई ये न कह सके कि हमने जानबूझ कर उसे तकलीफ़ पहुंचाई थी या उसका दिल दुखाया था... हालांकि अनजाने में इंसान से ऐसी न जाने कितनी ग़लतियां हो जाती होंगी, जिससे दूसरों को दुख पहुंचता होगा...
लेकिन हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हमसे जाने या अनजाने में कभी किसी का कुछ बुरा न हो, किसी को कोई दुख न हो... हमारी ज़ात से कभी किसी को कोई तकलीफ़ न पहुंचे...
अगर हम सिर्फ़ एक बात गांठ बांध लें कि हम किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, तो यक़ीन मानें हम बहुत-सी बुराइयों से ख़ुद ब ख़ुद दूर होते चले जाएंगे...
अब बात आख़िरत की... हम अपने घर को रौशन करने के लिए तरह-तरह की लाइटें लगाते हैं... गर्मी से बचने के लिए हमें एसी चाहिए... क्या कभी आपने सोचा है कि क़ब्र में कितना अंधेरा होगा और कितनी गर्मी होगी... ?
क़ब्र के अंधेरे और गर्मी से बचने के लिए हमने अब तक क्या किया है...?
एक हदीस के मुताबिक़ हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- क़यामत के दिन बन्दा उस वक़्त तक क़दम न बढ़ा सकेगा, जब तक उससे ये चार सवालात न कर लिए जाएं
अपनी उम्र किन कामों में गुज़ारी ?
अपने इल्म पर कितना अमल किया ?
माल किस तरह कमाया और कहां ख़र्च किया ?
अपने जिस्म को किन कामों में बोसीदा किया ?
फ़िरदौस ख़ान