क़ब्र के फ़ितने से बचाने वाले आमाल

Author: Admin Labels:: , ,


हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि से रिवायत है कि नबी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दो क़ब्रों से गुज़रे, तो आपने फ़रमाया – इन दोनों को (क़बों में) अज़ाब हो रहा है और किसी बड़ी बात पर नहें. फ़िर फ़रमाया- इनमें से एक चुग़ली खाता था और दूसरा पेशाब (की छीटों) से एहतियात नहीं करता था. (बुख़ारी)
क़ब्र के फ़ितने से बचाने वाले आमाल
फ़ितना-ए-क़ब्र से बचने के लिए अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बहुत सी अहदीस मौजूद हैं, जिन पर अमल करके कब्र के फ़ितने से बचा जा सकता-
1. शहादत- अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- अल्लाह की राह में जान देना इंसान को क़ब्र के फ़ितने से महफ़ूज़ रखेगा. (निसाई)
2. मरातिब- यानी इस्लामी रियासत की सरहदों लश्करे-इस्लाम की हिफ़ाज़त के लिए पहरा देना. (तिर्मिज़ी)
3. सूरह मुल्क की कसरत से तिलावत करना. (हाकिम) नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रोज़ाना सोने से पहले सूरह मुल्क की तिलावत फ़रमाया करते थे. (अहमद, तिर्मिज़ी, दारमी)
4- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ि. से रिवायत है कि नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- जो मोमिन जुमा के दिन या जुमा की रात मरे, अल्लाह उसे क़ब्र के फ़ितने से बचा लेगा. (अहमद, तिर्मिज़ी)
5. हज़रत अब्दुल्लाह बिन यसार रज़ि. से रिवायत है कि मैं बैठा था. सुलेमान बिन सुरद रज़ि. और ख़ालिद बिन उरफ़ता रज़ि आए. लोगों ने कहा कि फ़ला इंसान पेट की तकलीफ़ से मर गया है. उन दोनों ने ख़्वाहिश की थी कि काश वह उस इंसान के जनाज़े मे शरीक होते फ़िर एक आदमी ने दूसरे आदमी से कहा- क्या नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये बात इरशाद नहीं फ़रमाई कि जिस इंसान को पेट मार डाले, उसे क़ब्र में अज़ाब नहीं दिया जाएगा. दूसरे ने जवाब दिया- क्यों नहीं. (निसाई)
इसके अलावा ताऊन की बीमारी से मरने वाले, पेट की बीमारी से मरने वाले, पानी में डूबकर मरने वाले, दीवार के नीचे आकर मरने वाले (बुख़ारी) जचगी (बच्चे की पैदाइश) की हालत में मरने वाली औरत (इब्ने-माजा) वग़ैराह क़ब्र के फ़ितने से महफ़ूज़ रहेंगे.


0 comments |

Post a Comment

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

List

My Blog List

Popular Posts

Followers

Translate

Powered by Blogger.

Search This Blog

इस बलॊग में इस्तेमाल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
banner 1 banner 2