अल्लाह और रोज़ेदार
Author: Admin Labels:: इस्तिख़ारा, इस्लाम, बयान, रमज़ान, रमज़ान और शबे-क़द्रएक बार मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से पूछा कि मैं जितना आपके क़रीब रहता हूं, आप से बात कर सकता हूं, उतना और भी कोई क़रीब है ?
अल्लाह तआला ने फ़रमाया- ऐ मूसा ! आख़िरी वक़्त में एक उम्मत आएगी, वह उम्मत मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहिवसल्लम) की उम्मत होगी. उस उम्मत को एक महीना ऐसा मिलेगा, जिसमें लोग सूखे होंठ, प्यासी ज़ुबान, सूखी आंख़ें , भूखे पेट, इफ़्तार करने बैठेंगे, तब मैं उनके बहुत क़रीब रहूंगा.
मूसा हमारे और तुम्हारे बीच में 70 पर्दों का फ़ासला है, लेकिन इफ़्तार के वक़्त उस उम्मती और मेरे बीच में एक पर्दे का भी फ़ासला नहीं होगा और वो जो दुआ मागेंगे, उनकी दुआ क़ुबूल करना मेरी ज़िम्मेदारी है.
एक बार मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से पूछा कि मैं जितना आपके क़रीब रहता हूं, आप से बात कर सकता हूं, उतना और भी कोई क़रीब है ?
अल्लाह तआला ने फ़रमाया- ऐ मूसा ! आख़िरी वक़्त में एक उम्मत आएगी, वह उम्मत मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहिवसल्लम) की उम्मत होगी. उस उम्मत को एक महीना ऐसा मिलेगा, जिसमें लोग सूखे होंठ, प्यासी ज़ुबान, सूखी आंख़ें , भूखे पेट, इफ़्तार करने बैठेंगे, तब मैं उनके बहुत क़रीब रहूंगा.
मूसा हमारे और तुम्हारे बीच में 70 पर्दों का फ़ासला है, लेकिन इफ़्तार के वक़्त उस उम्मती और मेरे बीच में एक पर्दे का भी फ़ासला नहीं होगा और वो जो दुआ मागेंगे, उनकी दुआ क़ुबूल करना मेरी ज़िम्मेदारी है.
नोट : ये तहरीर राहे-हक़ के लिए भाई Sahil Khan ने भेजी है. जज़ाक अल्लाह.
तस्वीर गूगल से साभार