शब-ए-मेराज
Author: Admin Labels:: Salat, इबादत, इस्लाम, नमाज़, फ़िरदौस ख़ान की क़लम से, शब-ए-मेराजइस्लामी कलेंडर के रजब माह की 27 तारीख़ मुसलमानों के लिए अज़ीम मुक़ाम रखती है. इस तारीख़ को हमारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह) से मुलाक़ात के लिए गए थे. इसी रात में आपकी उम्मत को नमाज़ का अज़ीम तोहफ़ा अता किया गया. एक हदीस में बताया गया है कि अगर नबी की मेराज अल्लाह से मुलाकात है, तो मोमिन की मेराज नमाज़ है.
इस तारीख़ को रात में इबादत और दिन में रोज़ा रखा जाता है, यानी आज की रात इबादत की रात है और कल रोज़ा रखा जाएगा. शब-ए-मेराज की फ़ज़ीलत को जितना बयां किया जाए, कम है.
मिस्बाह में शेख़ ने इमाम अबू जाफ़र जवाद (अस) से नक़ल किया है. फ़रमाया- रजब महीने में एक रात उन सब चीज़ों से बेहतर है, जिन पर सूरज चमकता है और वह 27 रजब की रात है, जिसकी सुबह रसूले आज़म (स:अ:व:व) मब'उस ब रिसालत हुए. हमारे पैरोकारों में जो इस रात अमल करेगा, तो उसको 60 साल के अमल का सवाब हासिल होगा. मैंने अर्ज़ किया, "इस रात का अमल क्या है?" आप (अस) ने फ़रमाया : नमाज़े-ईशा के बाद सो जाएं और फिर आधी रात से पहले उठकर 12 रकअत नमाज़ 2-2 रकअत करके पढ़ें और हर रकअत में सुरह अल-हम्द के बाद क़ुरान की आख़िरी मुफ़स्सिल सूरतों (सुरह मोहम्मद से सुरह नास) में से कोई एक सुरह पढ़ें. नमाज़ का सलाम देने के बाद यह सारी सुरतें पढ़े-
सुरह हम्द 7 मर्तबा
सुरह फ़लक़ 7 मर्तबा
सुरह नास 7 मर्तबा
सुरह तौहीद 7 मर्तबा
सुरह काफ़ेरून 7 मर्तबा
सुरह क़द्र 7 मर्तबा
आयतल कुर्सी 7 मर्तबा
अगले साल शब-ए-मेराज पर हम हों, न हों... इसलिए मेराज की रात और दिन इबादत में गुज़ार दें, अपनी ज़िन्दगी में से कुछ वक़्त तो अपने ख़ुदा के लिए रखें. अल्लाह हम सबको राहे-हक़ पर चलने की तौफ़ीक़ अता करे, आमीन
-फ़िरदौस ख़ान