ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं

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ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों में गोश्त भी बहुत होता है. एक-दूसरे के घरों में क़ुर्बानी का गोश्त भेजा जाता है..जब गोश्त ज़्यादा हो जाता है, तो लोग गोश्त लेने से मना करने लगते हैं.
ऐसे भी बहुत से घर होते हैं, जहां क़ुर्बानी नहीं होती. ऐसे भी बहुत से घर होते हैं, जो त्यौहार के दिन भी गोश्त से महरूम रहते हैं..राहे-हक़ से जुड़े साथी गोश्त इकट्ठा करके ऐसे लोगों तक गोश्त पहुंचाते रहे हैं, जो ग़रीबी की वजह से गोश्त से महरूम रहते हैं.
आप सबसे ग़ुज़ारिश है कि आप भी क़ुर्बानी के गोश्त को उन लोगों तक पहुंचाएं, जो त्यौहार के दिन भी गोश्त से महरूम रहते हैं. आपकी ये कोशिश किसी के त्यौहार को ख़ुशनुमा बना सकती है.

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शुगर का घरेलू इलाज...

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फ़िरदौस ख़ान
 
शुगर एक ऐसा मर्ज़ है, जिससे व्यक्ति की ज़िन्दगी बहुत बुरी तरह प्रभावित हो जाती है. वह अपनी पसंद की मिठाइयां, फल, आलू, अरबी और कई तरह की दूसरी चीज़ें नहीं खा पाता. इसके साथ ही उसे तरह-तरह की दवाएं भी खानी पड़ती हैं. दवा कोई भी नहीं खाना चाहता, जिसे मजबूरन खानी पड़ती हैं, इससे उसका ज़ायक़ा ख़राब हो जाता है. इससे व्यक्ति और ज़्यादा परेशान हो जाता है. पिछले कई दिनों से हम शुगर के रूहानी और घरेलू इलाज के बारे में अध्ययन कर रहे हैं. हमने शुगर के कई मरीज़ों से बात की. इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे, जो महंगे से महंगा इलाज कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ. कई ऐसे लोग भी मिले, जिन्होंने घरेलू इलाज किया और बेहतर महसूस कर रहे हैं. शुगर के मरीज़ डॉक्टरों से दवा तो लेते ही हैं. लेकिन हम आपको ऐसे इलाज के बारे में बताएंगे, जिससे मरीज़ को दवा की ज़रूरत ही नहीं रहती.
पहला इलाज है जामुन
जी हां, जामुन शुगर का सबसे बेहतरीन इलाज है. अमूमन सभी पद्धतियों की शुगर की दवाएं जामुन से बनाई जाती हैं. बरसात के मौसम में जामुन ख़ूब आती हैं. इस मौसम में दरख़्त जामुन से लदे रहते हैं. जब तक मौसम रहे, शुगर के मरीज़ ज़्यादा से ज़्यादा जामुन खाएं. साथ ही जामुन की गुठलियों को धोकर, सुखाकर रख लें. क्योंकि जब जामुन का मौसम न रहे, तब इन गुठलियों को पीसकर सुबह ख़ाली पेट एक छोटा चम्मच इसका चूर्ण फांक लें. जामुन की चार-पांच पत्तियां सुबह और शाम खाने से भी शुगर कंट्रोल में रहती है. जामुन के पत्ते सालभर आसानी से मिल जाते हैं. जिन लोगों के घरों के आसपास जामुन के पेड़ न हों, तो वे जामुन के पत्ते मंगा कर उन्हें धोकर सुखा लें. फिर इन्हें पीस लें और इस्तेमाल करें. इसके अलावा मिट्टी के मटके में जामुन की छोटी-छोटी कुछ टहनियां डाल दें और उसका पानी पिएं. इससे भी फ़ायदा होगा.   
दूसरा इलाज है नीम
नीम की सात-आठ हरी मुलायम पत्तियां सुबह ख़ाली पेट चबाने से शुगर कंट्रोल में रहती है. ध्यान रहे कि नीम की पत्तियां खाने के दस-पंद्रह मिनट बाद नाश्ता ज़रूर कर लें. नीम की पत्तियां आसानी से मिल जाती हैं.
तीसरा इलाज है अमरूद 
 रात में अमरूद के दो-तीन पत्तों को धोकर कूट लें. फिर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रख दें. ध्यान रहे कि बर्तन धातु का न हो. सुबह ख़ाली पेट इसे पीने से शुगर कंट्रोल में रहती हैं.
ये तीनों इलाज ऐसे हैं, जो आसानी से मुहैया हैं. शुगर का कोई भी मरीज़ इन्हें अपनाकर राहत पा सकता है. इन तीनों में से कोई भी इलाज करने के एक माह के बाद शुगर का टेस्ट करा लेने से मालूम हो जाएगा कि इससे कितना फ़ायदा हुआ है.

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एक मुबारक तारीख़

Author: फ़िरदौस ख़ान Labels::


एक मुबारक तारीख़... एक रूहानी तारीख़, जिसे हम कभी नहीं भूल सकते... तआरुफ़ 
4 अप्रैल 2022, हिजरी 2 रमज़ान 1443

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم 
 إلهي كفى بي عِزًّا أن أكون لك عَبدًا، وكفى بي فخرًا أن تكون لي رَبًّا، أنت كما أُحب فاجعلني كما تُحب. 
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इलाही कफ़ा बी इज़्ज़न, अन अकुना लका अबदन
वा कफ़ा बी फ़ख़रन, अन तकुना लि रब्बन 
अंता कमा उहिब्ब, फ़जअलनी कमा तोहिब
आमीन या रब्बुल आलेमीन 
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है.
ऐ मेरे रब ! मेरी इज़्ज़त के लिए यही काफ़ी है कि मैं तेरा बन्दा हूं. और मेरे फ़ख़्र करने के लिए ये काफ़ी है कि तू मेरा परवरदिगार है. तू वैसा ही है, जैसा मैं चाहता हूं. बस तू मुझे ऐसा बना दे, जैसा तू चाहता है.
आमीन या रब्बुल आलेमीन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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