सलातुल तस्बीह

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*सलातुल तस्बीह*
सलातुल तस्बीह की नमाज़ की बहुत फ़ज़ीलतें हैं. हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जो इस नमाज़ को क़ायम करेगा, तो उसके अगले पिछले तमाम गुनाह मुआफ़ कर दिए जाएंगे. हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि अगर हो सके, तो इस नमाज़ को रोज़ाना एक बार पढ़ा करो. अगर रोज़ाना न पढ़ सको, तो हफ़्ते में एक बार पढ़ लिया करो. और अगर हफ़्ते में भी नहीं पढ़ सकते, तो महीने में एक बार पढ़ लिया करो. और अगर महीने में भी न पढ़ सकते, तो साल में एक बार पढ़ लिया करो. और अगर साल में भी नहीं पढ़ सकते, तो कम से कम उम्र में एक बार तो ज़रूर ही पढ़ लिया करो.
 
*सलातुल तस्बीह की नमाज़ का तरीक़ा*
सबसे पहले चार रकत नमाज़ की नियत बांधकर सना पढ़ें और फिर उसके बाद 15 बार ये दुआ पढ़ें-
* सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर *
 
फिर अऊज़ु बिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़कर सूरह फ़ातिहा और सूरत पढ़कर 10 बार दुआ पढ़ें.
उसके बाद रुकू करें और रुकू में 10 बार दुआ पढ़ें.
फिर रुकू से खड़े होकर 10 बार दुआ पढ़ें.
उसके बाद सजदा करें और सजदे में 10 बार दुआ पढ़ें
फिर सजदे से उठकर 10 बार दुआ पढ़ें.
फिर दूसरे सजदे में भी 10 बार दुआ पढ़ें
   
इस तरह एक रकअत पूरी हो गई और एक रकअत में 75 मर्तबा दुआ हो गई.
 
फिर दूसरी रकअत के लिए खड़े होकर 15 बार दुआ पढ़ें.
उसके बाद रुकू करें और रुकू में 10 बार दुआ पढ़ें.
फिर रुकू से खड़े होकर 10 बार दुआ पढ़ें.
उसके बाद सजदा करें और सजदे में 10 बार दुआ पढ़ें
फिर सजदे से उठकर 10 बार दुआ पढ़ें.
फिर दूसरे सजदे में भी 10 बार दुआ पढ़ें

इसके बाद बैठ जाएं और अत्तहिय्यात पढ़कर खड़े हो जाएं और बाक़ी तीसरी और चौथी रकअत इसी तरह पूरी करें. इस तरह चार रकअत में 300 मर्तबा दुआ हो गई.

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रब से गुफ़्तगू

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मैंने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार ! मैं बहुत गुनाहगार हूं.
जवाब मिला : अल्लाह की रहमत से मायूस न हो. अल्लाह सब गुनाह बख़्श देगा. बेशक वह बड़ा बख़्शने वाला और बड़ा मेहरबान है.

मैंने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे तेरी मदद कैसे मिलेगी ?
जवाब मिला : सब्र और नमाज़ से मदद लिया करो.

मैंने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार ! मेरे दिल को सुकून नहीं है.
जवाब मिला : बेशक अल्लाह की याद से ही दिलों को सुकून और इत्मीनान मिलता है.

मैंने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार ! मैं बहुत तन्हा हूं.
जवाब मिला : बेशक हम तुम्हारी शह रग से भी ज़्यादा क़रीब हैं.

मैंने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे कोई याद नहीं करता.
जवाब मिला : तुम हमें याद करो, हम तुम्हें याद करेंगे.

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अम्बिया इकराम

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दुनिया में कुल कितने अम्बिया इकराम आएं ? और उनमें से किन अम्बिया का ज़िक्र क़ुरआन में है ? जानिए
कमोबेश 124000 अम्बिया इकराम इस रूए ज़मीन पर आए, जिनमे से 313 या 315 ही रसूल हैं और बाक़ी नबी.  नबी उसे कहते हैं, जिसे वही आती हो, लेकिन तबलीग़ पर मामूर हो या ना हो और रसूल वह होता है जिस पर वही भी आती है और उसे तबलीग़ का हुक्म भी होता है.
इनमें से 26 रसूलों का ज़िक्र नाम के साथ क़ुरआन में आया है.
01. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम
02. हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम
03. हज़रत नूह अलैहिस्सलाम
04. हज़रत हूद अलैहिस्सलाम
05. हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम
06. हज़रत लूत अलैहिस्सलाम
07. हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम
08. हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम
09. हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम
10. हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम
11. हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम
12. हज़रत ज़लकिफ़ली अलैहिस्सलाम
13. हज़रत शुऐबअलैहिस्सलाम
14. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम
15. हज़रत हारुन अलैहिस्सलाम
16. हज़रत अलयसअ अलैहिस्सलाम
17. हज़रत इलियास अलैहिस्सलाम
19. हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम
20. हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम
21. हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम
22. हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम
23. हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम
24. हज़रत यहया अलैहिस्सलाम
25. हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम
26. हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
और 3 का ज़िक्र इशारे के तौर पर हुआ
01. हज़रत शमवील अलैहिस्सलाम
02. हज़रत यूशा अलैहिस्सलाम
03. हज़रत ख़िज्र अलैहिस्सलाम
इन तमाम नबियों में 5 बहुत ज़्यादा मर्तबे वाले हुए
1. हज़रत मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
2. हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम
3. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम
4. हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम
5. हज़रत नूह अलैहिस्सलाम

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या हुसैन

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بسم الله الرحمن الرحيم

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Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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