अक़ीदत के फूल...

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अपने आक़ा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को समर्पित कलाम...
अक़ीदत के फूल...
मेरे प्यारे आक़ा
मेरे ख़ुदा के महबूब !
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
आपको लाखों सलाम
प्यारे आक़ा !
हर सुबह
चमेली के
महकते सफ़ेद फूल
चुनती हूं
और सोचती हूं-
ये फूल किस तरह
आपकी ख़िदमत में पेश करूं

मेरे आक़ा !
चाहती हूं
आप इन फूलों को क़ुबूल करें
क्योंकि
ये सिर्फ़ चमेली के
फूल नहीं है
ये मेरी अक़ीदत के फूल हैं
जो
आपके लिए ही खिले हैं...
-फ़िरदौस ख़ान

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और क़ब्र तंग होती गई

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फ़िरदौस ख़ान
कल एक वाक़िया सुना... सच या झूठ, जो भी हो... लेकिन वो सबक़ ज़रूर देता है...
एक क़बिस्तान में एक क़ब्र खोदी गई... उस क़ब्र में लेट कर देखा गया कि क़ब्र सही है, छोटी तो नहीं है, कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई... क़ब्र सही थी...
क़ब्र में मैयत को उतारा गया... लेकिन जैसे ही क़ब्र में मैयत रखी, क़ब्र छोटी पड़ गई... मैयत को ऊपर उठा लिया गया... फिर से क़ब्र को वसीह (बड़ा) किया गया... और उसमें मैयत उतारी गई... लेकिन फिर से क़ब्र छोटी पड़ गई... कई बार क़ब्र खोदी गई, लेकिन हर बार वह छोटी पड़ जाती... सब हैरान और परेशान थे... आख़िरकार मुर्दे को जैसे-तैसे दफ़नाया गया...
जिस शख़्स को दफ़नाया गया था, उसके बारे में घरवालों और आस-पड़ौस के लोगों से मालूमात की गई... मालूम हुआ कि उसने अपने भाइयों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा किया हुआ था... लोगों का मानना था कि इसी वजह से उसकी क़ब्र तंग हो गई थी...

हम ये तो नहीं जानते कि ये वाक़िया सच्चा है या झूठा... हां, लेकिन इतना ज़रूर है कि इसने सोचने पर मजबूर कर दिया... आख़िर इंसान को चाहिये ही कितना होता है... दो वक़्त का खाना, चार जोड़े कपड़े... और मरने के बाद दो गज़ ज़मीन... फिर भी क्यों लोग दूसरों की हक़ तल्फ़ी करके ज़मीन-जायदाद, माल और दौलत इकट्ठी कराते हैं... सब यही रह जाना है... साथ अगर कुछ जाएगा, तो वो सिर्फ़ आमाल ही होंगे...
फिर क्यों इंसान दूसरों को लूटने में लगा हुआ है...? ज़रा सोचिये...

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शुगर का देसी इलाज...

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गिलोय की बेल के पत्ते खाने से शुगर का स्तर कम हो जाता है... हमारी एक हमसाई की शुगर का स्तर हमेशा 250 से ज़्यादा रहता था... वो हमारे घर से हर रोज़ गिलोय के पत्ते ले जाया करती थीं... उन्होंने लगातार तीन माह निहार मुंह गिलोय का पत्ता चबाकर पानी पी लिया... अब उनकी शुगर नियंत्रित हो गई... शुगर के अलावा बुख़ार, हड्डियों के दर्द, कैंसर, पेट और आंखों आदि की बीमारी में गिलोय बेहद फ़ायदेमंद है...

हमारे घर गिलोय की बहुत-सी बेलें हैं... बहुत लोग इसके पत्ते ले जाते हैं... गिलोय की बेल तक़रीबन हर जगह पाई जाती है... एक बार लगाने पर ये कई साल तक पत्तों से भरी रहती है... गिलोय की बेल किसी भी नर्सरी में मिल सकती है... पार्क में भी मिल सकती है... सड़क किनारे खड़े पेड़ों पर भी ये बेल ख़ूब देखी जा सकती है... हो सके, तो इसे अपने घर में ज़रूर लगाएं... इसे गमले में भी उगाया जा सकता है...

गिलोय का वैज्ञानिक नाम तिनोस्पोरा कार्डीफ़ोलिया है... इसे मधुपर्णी, अमृता, तंत्रिका, कुंडलिनी गुडूची भी कहा जाता है... फ़ारसी में इसे गिलाई कहते हैं... अंग्रेज़ी में गुलंच, मराठी में गुलबेल, कन्नड़ में अमरदवल्ली, तेलगू में गोधुची, तमिल में शिन्दिल्कोदी और गुजराती में गालो में आदि नामों से जाना जाता है... गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलो इन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल और बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाए जाते है... मान्यता है कि देव और दानवों के युद्ध के दौरान जहां-जहां अमृत कलश की बूंदे गिरीं, वहां-वहां गिलोय की बेल उग आई...
-फ़िरदौस ख़ान

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या हुसैन

या हुसैन

بسم الله الرحمن الرحيم

بسم الله الرحمن الرحيم

Allah hu Akbar

Allah hu Akbar
अपना ये रूहानी ब्लॉग हम अपने पापा मरहूम सत्तार अहमद ख़ान और अम्मी ख़ुशनूदी ख़ान 'चांदनी' को समर्पित करते हैं.
-फ़िरदौस ख़ान

This blog is devoted to my father Late Sattar Ahmad Khan and mother Late Khushnudi Khan 'Chandni'...
-Firdaus Khan

इश्क़े-हक़ी़क़ी

इश्क़े-हक़ी़क़ी
फ़ना इतनी हो जाऊं
मैं तेरी ज़ात में या अल्लाह
जो मुझे देख ले
उसे तुझसे मुहब्बत हो जाए

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